कहानी 1: एक किसान की मोटिवेशनल कहानी
एक समय की बात है, एक बार एक किसान परमात्मा से बड़ा नाराज हो गया। कभी सुखा पड़ जाता था तो कभी बारिश आ जाती थी। हर बार ऐसा होने के कारण उसकी फसल खराब हो जाती थी। एक दिन उस किसान ने इस चीज़ से परेशान होकर ईश्वर से कहा, "देखिए प्रभु, आप परमात्मा हैं, परंतु मुझे ऐसा लगता है कि आपको खेती-बाड़ी की ज्यादा जानकारी नहीं है। मैं प्रार्थना करता हूँ, एक बार मुझे मौका दीजिए। मैं जैसा चाहूँ, वैसा ही मौसम हो जाए, फिर देखना मैं कैसे खेती-बाड़ी करता हूँ। मैं ऐसा खेती-बाड़ी करूँगा कि अन्न का भंडार लग जाएगा।"
ईश्वर मुस्कुराकर बोले, "ठीक है, आप जैसा चाहो।" किसान ने पहले धान की फसल की, जैसा किसान चाहता था, वैसा ही मौसम हुआ। उसकी फसल बहुत अच्छी दिख रही थी, उसने पहले ऐसी फसल नहीं देखी थी। वह बहुत खुश हो गया।
जैसे ही फसल काटने की बारी आई, तो देखा कि धान के अंदर एक भी दाना नहीं थे। किसान दुखी होकर ईश्वर से कहा, "हे प्रभु, ये क्या हो गया?"
ईश्वर ने कहा कि ये तो होना ही था। तुमने तो पौधों को संघर्ष करने के लिए थोड़ा भी समय नहीं दिया, तुमने फसल को तेज धूप से तपने नहीं दिया और आँधी-तूफान से जूझने नहीं दिया। फसलों को चुनौतियों का अहसास करने नहीं दिया। इसलिए पौधे बखले रहे गए। जब आँधी आती है और जोर से बारिश होती है, तो पौधे अपने बल पर खड़े होने के लिए संघर्ष करते हैं।
ठीक उसी प्रकार जीवन में संघर्ष न हो, चुनौती न हो, तो मनुष्य को जीवन खोखला लगने लगता है। उसके भीतर गुण, ज्ञान नहीं आ पाता। अगर जीवन में प्रतिभाशाली बनना है, तो संघर्ष और चुनौतियों का डटकर सामना करना जरूरी है।
सीख: ये motivational story यह सिखाती है कि जीवन में संघर्ष जरूरी होता है।
कहानी 2: बड़ा सोचो
एक युवक बहुत गरीब परिवार से था। वह बहुत दिनों से नौकरी की तलाश में था। परंतु उसे अपने शहर में नौकरी नहीं मिल पा रही थी। इसलिए उसने दूर शहर में किस्मत आजमाने का सोचा। उसने अगले ही दिन ट्रेन पकड़ी और दूसरे शहर को निकल पड़ा। उसकी माँ ने एक टिफिन में रोटियाँ रखकर उसे दीं।
वह परिवार इतना गरीब था कि उसके घर में सब्जी नहीं बन पाती थी। इसलिए उसकी माँ रोटियाँ ही दी थीं। जब उसने आधा सफर पूरा किया तो उसे बहुत भूख लगी। उसने टिफिन को खोलकर रोटियाँ खाने लगा। जिस प्रकार वह खाना खा रहा था, बाकी लोग उसे देखने लगे। वह पहले रोटियाँ तोड़ता, फिर टिफिन में कुछ घुमा कर मुँह में डालता था। ऐसा लग रहा था कि वह रोटियों के साथ सब्जी भी खा रहा है। लोग उसे देखकर आश्चर्य में पड़ गए थे। वह क्या कर रहा था, उन सभी को समझ नहीं आ रहा था। एक आदमी ने उसे पूछ लिया, 'मित्र, तुम्हारे पास केवल रोटियाँ ही तो हैं, उस टिफिन में घुमा कर मुँह में क्यों डाल रहे हो?' उसने जवाब दिया कि हाँ, मेरे पास सिर्फ रोटी है, लेकिन इस खाली टिफिन में रोटी घुमा कर मैं यह सोच रहा हूँ कि मैं रोटी के साथ अचार भी खा रहा हूँ। दूसरे व्यक्ति ने पूछा, 'क्या उसमें से आपको अचार का स्वाद आ रहा है?' उसने बोला कि मैं रोटी और अचार सोचकर खा रहा हूँ तो मुझे स्वाद भी आ रहा है।
जब उसकी बात आसपास के लोग सुनने लगे तो एक आदमी ने बोला कि अगर तुम सोच ही रहे हो तो, अचार ही क्यों, मटर पनीर या शाही पनीर ही सोच लेते। इस तरह तुम सब्जी का भी स्वाद ले पाते। कुछ बड़ा सोचो, तभी सफलता मिलेगी। अगर तुम्हारे सपने बड़े होंगे, तभी सफलता भी बड़ी होगी। इसलिए हर व्यक्ति को बड़ा सोचना होगा। अगर जीवन में बड़ा करना है तो व्यक्ति को बड़ा सोचना होगा। अगर व्यक्ति के सपने विराट होंगे, तभी सफलता भी विराट होगी। इसलिए हर व्यक्ति को कुछ बड़ा सोचना होगा।
ये motivational story हमें ये सिखाती है कि हमें बड़ा सोचना पड़ेगा तभी सफलता मिलेगी।
कहानी 3: जो कुछ भी होता है अच्छे के लिए होता है
एक राजा अपनी नगर में तलवारबाज़ी कर रहा था। तलवारबाज़ी करते हुए उनकी अंगूठी कट गई। उनके पास खड़ा हुआ एक मंत्री ने बोल दिया कि "जो कुछ भी होता है, अच्छे के लिए होता है।" यह सुनकर राजा बहुत क्रोधित हो गए। राजा ने उस मंत्री को कारागार में बंदी बनाने का आदेश दे दिया और कहा, "इसे फांसी में चढ़ा दो, उसने मुझे ऐसा कहने का दुस्साहस कैसे किया।"
यह सुनकर मंत्री बहुत ज्यादा डर गया, उसने राजा से निवेदन किया, और कहा, "महाराज, मैं तो इस महल में इतने साल काम किया हूँ। आप मेरी अंतिम इच्छा पूरी नहीं करेंगे?" राजा ने कहा, "ठीक है, क्या तुम्हारी अंतिम इच्छा है?" मंत्री ने बोला, "मुझे जो चाहे सजा देना, कृपया मुझे 10 दिन का समय दीजिए।"उसकी बात को राजा ने स्वीकार कर लिया।
अगले दिन राजा अपने सैनिकों के साथ वन में शिकार करने के लिए गए। राजा वन में अपने सैनिकों से बिछड़ गए और मार्ग से भटक गए। मार्ग ढूंढते हुए राजा वनवासियों के निकट पहुँच गए, जो बलिदान देने के लिए किसी को ढूंढ रहे थे।
राजा को वनवासियों ने पकड़ लिया और वन की देवी को बलि देने के लिए ले गए। जैसे ही बलि देने का समय आया, तो एक बुजुर्ग ने राजा के कटे हुए अंगूठे को देख लिया, उसने आवाज लगाई और कहा, "इसका अंगूठा तो कटा हुआ है। ऐसा व्यक्ति बलि नहीं दी जा सकती!" तो vराजा को छोड़ दिया गया। राजा जैसे-तैसे अपने महल पहुँचे।
राजा अपने महल में पहुँचने के बाद सबसे पहले मंत्री से मिले, और कहा, "तुमने सही बात कही थी, जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है। मेरी अंगूठी न कटती, तो मैं आज जिंदा न होता।" राजा ने फिर से मंत्री से प्रश्न पूछा, "मेरा तो लाभ हुआ। आपका लाभ कैसा हुआ, मैंने तो आपको सजा दी।" मंत्री ने बोला, "मैं तो हमेशा आपके साथ शिकार पर जाता हूँ, उस दिन भी जाता तो मेरी बलि चढ़ जाती, तो समझिए जो कुछ भी होता है, अच्छे के लिए होता है।" राजा यह बात सुनकर बहुत खुश हुए और मंत्री को कारागार से बाहर निकाला।
शिक्षा: यह जीवन है, उतार-चढ़ाव तो आते रहेंगे। कभी-कभी मन मुताबिक नहीं होता, इसलिए कभी दुखी नहीं होना चाहिए। जो कुछ भी होता है, अच्छे के लिए होता है
कहानी 4: सफलता का रहस्य
एक बार एक व्यक्ति प्रितिश से पूछा कि हम कैसे सफलता हासिल कर सकते हैं, उसका रहस्य बताएं।
प्रितिश ने उस लड़के से बोला कि मुझे नदी के तट पर मिलो। फिर प्रितिश ने उस लड़के को अपने साथ नदी की ओर चलने के लिए कहा। नदी के पास पहुँचने के बाद, प्रितिश ने उस लड़के को उसका सिर पकड़कर पानी में डुबो दिया। लड़का पानी से बाहर निकलने के लिए बहुत प्रयास किया, लेकिन प्रितिश बहुत शक्तिशाली था, उसने लड़के को तब तक पकड़कर रखा जब तक लड़का नीला न पड़ने लगे। फिर प्रितिश ने उसका सिर बाहर निकाल लिया। लड़का बाहर निकलते ही जोर-जोर से सांस लिया।
प्रितिश ने उस लड़के से प्रश्न पूछा, "जब तुम पानी में थे तो तुम क्या चाहते थे?"
लड़के ने उस प्रश्न का उत्तर दिया और कहा, "मैं उस समय सांस लेना चाहता था।"
प्रितिश ने बोला, "यही तो सफलता का रहस्य है। जब तुम सफलता को वैसे ही चाहोगे जैसे कि तुम उस समय सांस लेना चाहते थे, तभी तुम्हें सफलता मिलेगी।"
सीख: ये motivational story इन हिंदी से हमें ये सीख मिलती है कि सफलता को हद से चाहोगे, तो मिल ही जाएगी।
कहानी 5: चिंता ना करें जो होगा देखा जायेगा
एक दिन, एक आदमी समुद्र के किनारे नहाने गया। लेकिन वह नहाने के बजाय नदी के किनारे बैठ गया।
एक व्यक्ति ने उसे देखकर उसके पास गया और उससे पूछा कि तुम यहां क्या कर रहे हो और कब स्नान करोगे। उसने कहा कि समुद्र को शांत होने दो, वह असांत है। ऊँची-ऊँची लहरें उठ रही हैं, उसे शांत होने दो। तब मैं स्नान करूंगा। यह सुनकर वह आदमी जोर-जोर से हंसने लगा और बोला, "भला समुद्र की लहरें कभी शांत होंगी?
समुद्र में स्नान तो सहकर करना पड़ता है। नहीं तो स्नान कभी भी नहीं हो सकता।" यह बात हम पर लागू होती है। हमें लगता है कि सभी प्रकार के कार्य हमारी हिसाब से होंगे। ऐसा होता नहीं। यह संसार समुद्र के समान है।
जीवन ऐसा है कि जहां हमेशा बाधा, स्र्कावट, रोड़ा तरंगें तो उठती रहेंगी। एक परेशानी दूर करोगे तो दूसरी आ जाएगी। ऐसा हमेशा होता रहेगा। इसलिए आपको याद रखना चाहिए, हर चीज अपने हिसाब से नहीं होती।
इस कहानी की सिख: इस कहानी हमें ये सिखाया की ज्यादा चिंता नहीं करना चाहिए उताड़ चढ़ाव तो आते रहेंगे हमें शांति से काम लेना चाहिए।