Introduction:
स्वागत हैं दोस्तों। कहानियाँ सिर्फ कहानियाँ नहीं होतीं। ये हमें नई दुनिया दिखाती हैं, अपनी भावनाओं से जोड़ती हैं और हमें जिंदगी की सीख देती हैं। कभी हंसाती हैं, तो कभी रुलाती हैं, और कभी सोचने पर मजबूर कर देती हैं। अगर आपको कहानियाँ पढ़ना पसंद हैं, तो नीचे कई सारी अच्छी- अच्छी छोटी कहानियाँ लिखी गई हैं।
Very Short Story In Hindi:
1. भालू की पूंछ
बहुत समय पहले भालू की लंबी, चमकीली पूंछ थी, जिस पर उसे बड़ा गर्व था। वह हर किसी से पूछता, "मेरी पूंछ कैसी लग रही है?" लोग डर के मारे उसकी तारीफ करते, और भालू खुश हो जाता।
एक बार कड़ाके की ठंड पड़ी। झीलें जम गईं, शिकार मिलना मुश्किल हो गया। तभी भालू की नजर लोमड़ी पर पड़ी, जिसके पास मछलियों का ढेर था। भालू ने पूछा, "इतनी सारी मछलियाँ कहाँ से पकड़ी?"
चालाक लोमड़ी ने कहा, "मैंने अपनी पूंछ से पकड़ी हैं। तुम चाहो तो सीख सकते हो!"
भालू खुशी-खुशी मान गया। लोमड़ी उसे जमी हुई झील पर ले गई। भालू ने अपनी पूंछ पानी में डाल दी और इंतजार करने लगा। ठंड में बैठे-बैठे उसे नींद आ गई।
सुबह जब वह उठा और पूंछ खींचने लगा, तो वह जम चुकी थी! जैसे ही उसने जोर लगाया, उसकी पूंछ टूट गई।
लोमड़ी दूर से हंस रही थी। भालू गुस्से में दहाड़ा, लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था। तब से भालू की पूंछ छोटी हो गई और उसने लोमड़ी से बोलना बंद कर दिया।
शिक्षा: इसलिए कहते हैं – किसी की बातों में आकर काम मत करो, अपने दिमाग का इस्तेमाल करो।
2. किसान की घड़ी
एक किसान अपनी अनाज की कोठी में काम कर रहा था। काम के दौरान उसकी घड़ी कहीं गिर गई। यह कोई साधारण घड़ी नहीं थी, बल्कि उसके पिता का दिया हुआ उपहार थी, जिससे उसकी भावनाएं जुड़ी हुई थीं। उसने कोठी के कोने-कोने में तलाश की, लेकिन घड़ी नहीं मिली।
थक हारकर वह बाहर आ गया और कुछ बच्चों को खेलते हुए देखा। उसे एक उपाय सूझा। उसने बच्चों को बुलाया और कहा, "अगर तुम मेरी खोई हुई घड़ी ढूंढ दोगे, तो तुम्हें इनाम मिलेगा।" यह सुनकर बच्चे उत्साहित हो गए और तुरंत घड़ी की खोज में जुट गए।
Very short story in hindi रोमांचक मोड़ में थी, बच्चों ने कोठी का हर कोना छान मारा—अनाज के बोरे हटाए, हर जगह देखा, लेकिन घड़ी नहीं मिली। थककर वे बाहर आ गए और बोले, "हमने पूरी कोशिश की, लेकिन घड़ी नहीं मिली।" किसान उदास हो गया।
तभी एक छोटा बच्चा आगे बढ़ा और बोला, "क्या मैं एक बार और कोशिश कर सकता हूँ?" किसान ने उसे अंदर जाने दिया।
बच्चा कोठी के अंदर गया और एक जगह चुपचाप खड़ा हो गया। उसने आँखें बंद कीं और ध्यान से सुनने लगा। चारों ओर शांति थी। तभी हल्की सी "टिक-टिक" की आवाज़ उसके कानों में पड़ी। वह आवाज़ की दिशा में बढ़ा और कुछ ही देर में घड़ी लेकर बाहर आ गया!
किसान यह देखकर चकित रह गया। उसने पूछा, "बेटा, तुमने यह कैसे किया?"
बच्चे ने मुस्कुराकर कहा, "मैंने बस शांति से सुनने की कोशिश की और घड़ी की आवाज़ ने मुझे रास्ता दिखा दिया।" किसान ने खुशी-खुशी उसे इनाम दिया और मन ही मन सोचा, "सच ही है, जब हम शांत होते हैं, तो हल हमें खुद ही मिल जाता है!"
शिक्षा: इस Very short story in hindi में बताया गया हैं की शांति और एकाग्रता से हम हर मुश्किल का हल ढूंढ सकते हैं।
3. चंचल मन
मन बड़ा चंचल होता है। एक पल यहां, तो दूसरे पल कहीं और। कभी यह आकाश में उड़ते पक्षियों के संग होता है, तो कभी समंदर में तैरती मछलियों के साथ। कई बार मैं इसे संभालने की कोशिश करती हूँ, लेकिन यह मेरी नहीं सुनता।आज भी यह भागता हुआ एक छोटे से घर में जा पहुँचा। मैंने इसे रोका, लेकिन कब यह मेरी सुनता है! शायद इसे उम्मीद थी कि वहां चूल्हे पर सिकती मक्के की रोटी की खुशबू मिलेगी। लेकिन वहां तो कुछ और ही था।
एक छोटा बच्चा अपनी माँ की गोद में था। उसकी आँखों में भूख थी, लेकिन माँ के पास उसे देने के लिए कुछ भी नहीं था, न दूध, न रोटी। माँ उसे बहला रही थी, प्यार से सहला रही थी, और धीरे-धीरे बच्चा रोना बंद कर देता है। उसका मन अब किसी और दुनिया में चला जाता है—एक ऐसी दुनिया जहाँ वह खिलखिला रहा है, तारों से बातें कर रहा है, परियों के संग खेल रहा है।
मेरा मन भी ठहर गया। उस बच्चे की हंसी के पीछे की सच्चाई को समझकर उदास हो गया। अब इसे कहीं भागने का मन नहीं कर रहा था। अब कोई सपना देखने का मन नहीं कर रहा था। बस यही सोच रही थी, काश! इस दुनिया में कोई भी बच्चा भूखा न सोए।
4. हीरे की खान
भारत के एक गाँव में एक किसान रहता था। उसने सुना था कि लोग हीरों की खान खोजकर अमीर बन गए हैं। वह भी अमीर बनने का सपना देखने लगा। एक दिन उसने अपना खेत बेच दिया और हीरे की तलाश में निकल पड़ा। उसने कई जगहें छानीं, पर उसे कुछ नहीं मिला। धीरे-धीरे उसकी हिम्मत टूटने लगी। आखिरकार, निराश होकर उसने नदी में कूदकर अपनी जान दे दी।
इधर, जिसने किसान का खेत खरीदा था, वह एक दिन खेत के बीच बहने वाली छोटी नदी पर गया। उसे पानी में कुछ चमकता हुआ दिखा। पास जाकर देखा तो एक सुंदर सा पत्थर था, जो सूरज की रोशनी में चमक रहा था। उसने वह पत्थर उठा लिया और घर ले आया।
कुछ दिनों बाद उसका एक दोस्त घर आया। उसने वह पत्थर देखा और चौंक गया। उसने कहा, "क्या तुम्हें पता है, यह क्या है?"
किसान ने इनकार कर दिया। दोस्त बोला, "यह हीरा है, और शायद अब तक का सबसे बड़ा हीरा!" किसान को यकीन नहीं हुआ। उसने अपने दोस्त को बताया कि उसे यह पत्थर खेत की नदी से मिला था। दोनों वहां गए और कुछ और पत्थर इकट्ठे कर जांच के लिए भेजे। रिपोर्ट आई, तो पता चला कि खेत में हीरों की खदान थी। यह खदान "गोलसिस्टम डायमंड माइन्स" के नाम से मशहूर हुई और नया किसान अमीर बन गया।
शिक्षा: इस Very short story in hindi में पहला किसान हीरे की तलाश में भटकता रहा, जबकि वहवे उसके कदमों के नीचे ही थे। इसी तरह, कई बार हम सफलता की तलाश में दूर-दूर तक भटकते हैं, लेकिन असली मौके हमारे आसपास ही होते हैं। बस हमें उन्हें पहचानने और धैर्य से मेहनत करने की जरूरत होती है।
5. सुकरात और ज्योतिषी
एक दिन सुकरात अपने शिष्यों के साथ ज्ञान की चर्चा कर रहे थे। तभी एक ज्योतिषी वहाँ आया, जो अजीब से कपड़े पहने था। उसने खुद को बड़ा ज्ञानी बताते हुए कहा, "मैं किसी का चेहरा देखकर उसका स्वभाव बता सकता हूँ। कौन मेरी इस विद्या को परखना चाहेगा?"
शिष्यों ने सुकरात की ओर देखा। सुकरात मुस्कुराए और बोले, "ठीक है, मेरे बारे में बताइए।" ज्योतिषी ने उन्हें ध्यान से देखा और बोला, "तुम क्रोधी हो, तुम्हारे अंदर विद्रोह की भावना है। तुम्हारा चेहरा बताता है कि तुम लालची और सनकी हो।"
शिष्य यह सुनकर गुस्से से भर गए। उन्हें अपने गुरु का ऐसा वर्णन सहन नहीं हुआ। वे उस ज्योतिषी को भगाने लगे, लेकिन सुकरात ने उन्हें रोका। सुकरात ने कहा, "ज्योतिषी जो कह रहा है, वह पूरी तरह गलत नहीं है। सच यह है कि मेरे अंदर ये सभी भावनाएँ हैं – क्रोध, लालच, विद्रोह। लेकिन एक चीज़ उसने नहीं देखी – मेरा विवेक। मैं अपनी बुद्धि से इन बुरी भावनाओं पर काबू पाता हूँ।" फिर सुकरात ने ज्योतिषी को इनाम देकर विदा किया।
शिक्षा: इस छोटी कहानियाँ हमें सीख मिलती है कि हर इंसान में कमियाँ होती हैं, लेकिन अगर हम अपने विवेक और आत्मसंयम का उपयोग करें, तो उन पर काबू पा सकते हैं।
6. ऊँट के सवाल
एक दिन ऊँट और उसका बच्चा आपस में बातें कर रहे थे। तभी ऊँट के बच्चे ने पूछा, "पिताजी, हमारे पीठ पर ये कूबड़ क्यों होता है?"
ऊँट ने हस्ते हुए जवाब दिया, "बेटा, हम रेगिस्तान के जीव हैं। हमारा कूबड़ पानी जमा करके रखता है, जिससे हम कई दिनों तक बिना पानी के रह सकते हैं।"
बच्चे की जिज्ञासा और बढ़ गई। उसने फिर पूछा, "हमारे पैर इतने लंबे और पंजे चौड़े क्यों होते हैं?"
ऊँट ने समझाया, "हम रेगिस्तान की रेत में आसानी से चल सकें, इसलिए। हमारे पैर और पंजे हमें रेत में धंसने से बचाते हैं।"
बच्चे ने आखिरी सवाल किया, "और हमारी पलकें इतनी घनी क्यों हैं?"
"ताकि रेगिस्तान की धूल से हमारी आँखें सुरक्षित रहें," ऊँट ने जवाब दिया।
बच्चा कुछ देर सोचता रहा और फिर बोला, "अगर हमारा शरीर रेगिस्तान के लिए बना है, तो हम इस चिड़ियाघर में क्या कर रहे हैं?"
शिक्षा: इस बहुत छोटी कहानी से हमें पता चलता हैं की अपनी प्रतिभा और क्षमताओं का सही जगह पर उपयोग करना चाहिए, नहीं तो वे व्यर्थ चली जाती हैं।
7. बड़ो की बात मानना जरुरी है
एक घने जंगल में एक शेर-शेरनी अपने दो बच्चों के साथ रहते थे। वे अपने बच्चों को बहुत प्यार करते और बार-बार समझाते कि अकेले गुफा से बाहर न जाएँ। लेकिन बड़ा बच्चा जिद्दी था।
एक दिन शेर-शेरनी भोजन की खोज में गए। बड़ा बच्चा बोला, "चलो झरने से पानी पी आते हैं और मज़े करते हैं!" छोटा बच्चा बोला, "नहीं! माँ-बाप ने मना किया है।" लेकिन बड़ा जिद कर अकेला चला गया।
वह झरने से पानी पीकर इधर-उधर घूमने लगा। तभी शिकारियों ने उसे घेर लिया और पकड़कर चिड़ियाघर में बेच दिया। वहाँ वह लोहे के पिंजरे में क़ैद हो गया और माँ-बाप को याद कर पछताने लगा।
अब वह हर बच्चे को देखकर गुर्राता, मानो कहना चाहता हो "बड़ों की बात मानो, वरना पछताना पड़ेगा!"
8. योग्य राजा का चुनाव
सतपुरा वन का राजा शेर अब बहुत बूढ़ा हो गया था। उसने शिकार करना भी छोड़ दिया था और जंगल की व्यवस्था बिगड़ने लगी थी। एक दिन शेर ने सभी जानवरों को बुलाकर कहा, "मैं अब राजा बनने लायक नहीं रहा। तुम सब मिलकर एक नया राजा चुन लो, जो जंगल की देखभाल कर सके।"
सभी जानवर सोच में पड़ गए। हर कोई खुद को राजा बनने के लायक मान रहा था, जिससे बहस छिड़ गई। तभी चंदू खरगोश ने एक सुझाव दिया, "सबको उनकी क्षमता के अनुसार काम दिया जाए, फिर दस दिन बाद सबसे अच्छे काम करने वाले को राजा बनाया जाए।"
काम बाँट दिए गए। मोटू हाथी को गड्ढे में पत्थर भरने का काम मिला। दस दिन बाद सभी ने अपने-अपने काम पूरे कर लिए, सिवाय मोटू हाथी के। यह देखकर जानवर उलझन में पड़ गए। तभी पक्षीराज गरुड़ ने मतदान का सुझाव दिया। वोटिंग हुई, और हैरानी की बात यह थी कि सबसे ज्यादा वोट मोटू हाथी को मिले।
तभी एक चिड़िया ने आकर सबकी उलझन दूर की। उसने कहा, "मोटू हाथी ने गड्ढे में पत्थर इसलिए नहीं डाले क्योंकि वहाँ एक छोटे पौधे पर मैंने अंडे दिए थे। उसने राजा बनने की चिंता छोड़कर मेरे बच्चों की जान बचाने को ज्यादा जरूरी समझा।"
यह सुनकर सभी जानवरों ने सहमति जताई और मोटू हाथी को राजा बना दिया। उसके बाद सतपुरा वन में फिर कभी अशांति नहीं हुई।
9. सांड और गीदड़
एक किसान के पास एक गुस्सै वाला सांड था, जिसने कई जानवरों को घायल कर दिया। परेशान होकर किसान ने उसे जंगल में भगा दिया।
जंगल में सांड को खूब हरी घास मिली। अब उसका काम बस खाना, हुंकार भरना और पेड़ों से सींग रगड़ना था। कुछ ही दिनों में वह और भी बड़ा और ताकतवर हो गया। उसकी पीठ पर बड़ी गांठ बन गई, और गले की चमड़ी मोटी होकर लटकने लगी।
उसी जंगल में गीदड़ और गीदड़ी रहते थे। वे बड़े जानवरों के छोड़े शिकार पर निर्भर थे। एक दिन गीदड़ी ने सांड को देखा तो खुश होकर बोली, "देखो, इसकी चर्बी कितनी मोटी है! कितना स्वादिष्ट होगा इसका मांस!"
10. बुराई का अंजाम
गुलाबीपुर के एक अमीर व्यापारी के घर की रसोई में एक कबूतर ने घोंसला बना रखा था। एक दिन, एक लालची कौवा वहाँ आ पहुंचा। उसने रसोई में मछली देखी तो उसके मुंह में पानी आ गया। लेकिन अंदर कैसे जाए? यह सोचकर वह परेशान था। तभी उसकी नजर कबूतर पर पड़ी।
कौवे ने सोचा, "अगर मैं कबूतर से दोस्ती कर लूं, तो शायद अंदर जाने का कोई तरीका निकल आए।" अगले दिन वह कबूतर के साथ उड़ने लगा। कबूतर को शक हुआ और उसने पूछा, "भाई, तुम मेरे पीछे-पीछे क्यों उड़ रहे हो?" कौवे ने मीठी बातें करते हुए कहा, "तुम अच्छे लगते हो, इसलिए दोस्ती करना चाहता हूँ।"
कबूतर ने समझाया, "हमारा खाना अलग-अलग है, दोस्ती कैसे होगी?" कौवे ने कहा, "कोई बात नहीं! मेरा घर भी नहीं है, तो मैं तुम्हारे साथ रहूंगा और अपने खाने का इंतज़ाम खुद कर लूंगा।"
घर के मालिक ने कबूतर के साथ कौवे को देखा, लेकिन उसे कबूतर का दोस्त समझकर नजरअंदाज कर दिया। अगले दिन कबूतर खाने की तलाश में जाने लगा तो कौवे ने पेट दर्द का बहाना बना दिया। असल में, उसने नौकर को यह कहते सुन लिया था कि मेहमानों के लिए मछली बनेगी।
जैसे ही नौकर किचन से बाहर गया, कौवे ने झट से मछली उठा ली और मजे से खाने लगा। तभी नौकर लौट आया और कौवे को रंगे हाथों पकड़ लिया। गुस्से में आकर उसने कौवे की गर्दन मरोड़ दी।
शाम को जब कबूतर लौटा, तो उसने मरा हुआ कौवा देखा और सब समझ गया। उसने सोचा, "बुराई का यही अंजाम होता है!"
गीदड़ ने समझाया, "भूल जाओ! हम इसे नहीं खा सकते।"
पर गीदड़ी को भरोसा था, "इसकी पीठ की चर्बी कभी न कभी तो गिर ही जाएगी, बस हमें इसका पीछा करना है!"
गीदड़ ने मना किया, लेकिन गीदड़ी की जिद के आगे झुक गया। दोनों कई दिन सांड के पीछे-पीछे चलते रहे, लेकिन कुछ भी नहीं गिरा। भूख और कमजोरी से वे आखिरकार गिर पड़े और मर गए।
इस बहुत छोटी कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती हैं की ज़रूरत से ज्यादा लालच हमेशा नुकसान करता है।
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छोटी कहानी